पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन: क्यों ? इन दोनों को अलग रखना जरूरी है - Personal vs Professional Life

personal aur professional jeevan alag rakhna kyo zaroori hai? janiye dono life mai Behtar balance banane ke tarike!
Personal vs Professional Life

अगर कोई इंसान दोहरी जिंदगी जीता है तो आमतौर पर इसे अच्छा और न्यायसंगत नहीं माना जाता, लेकिन रुकिए! हम में से कई लोगों के जीवन में एक स्थिति ऐसी भी आती है, जब दोहरी जिंदगी जीना ही एक दम उचित, आवश्यक और सर्वोत्त्तम होता है। मैं बात कर रही हूँ, पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन या रिश्तों के सन्दर्भ (Context ) में।

आजकल की तेज़-तर्रार और प्रतिस्पर्धी दुनिया में व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों के बीच की सीमा अक्सर धुंधली हो जाती है। कई लोग अपने व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं और खुशियों को कार्यस्थल पर लाकर या फिर ऑफिस की जिम्मेदारियों और प्रेशर को अपने निजी जीवन में लाकर दोनों दुनियाओं को एक साथ जोड़ने की कोशिश करते हैं। 

हालांकि, ऐसा नहीं है कि सभी लोग जानबूझकर ऐसा करते हैं बल्कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमें शुरुआत में इससे होने वाले लॉन्ग टर्म दुष्परिणामों का कोई अनुमान ही नहीं होता इसीलिए शुरुआत में शायद ये लोगों को आसान और ठीक लगता है और वो उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, लेकिन जब ये सीमाएँ टूटने लगती हैं तो इसके प्रभाव बहुत गहरे होते हैं। 

आइए समझते हैं कि जब हम व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को मिलाकर चलने लगते हैं, तो यह हमारे जीवन में किस तरह से नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

1. कार्यस्थल पर व्यक्तिगत रिश्तों का असर

हम सभी को पता है कि हमारा कार्यस्थल सिर्फ काम करने का स्थान नहीं, बल्कि ये वो जगह है जहां हमें अपने सहकर्मियों और बॉस के साथ मिलकर काम करना होता है। जब हम व्यक्तिगत रिश्तों को इस जगह पर ले आते हैं, तो यह अक्सर तनाव और नकारात्मक प्रभाव का कारण बनता है। कुछ पॉइंट्स के आधार पर समझते हैं कैसे:

a) ध्यान का बंटना (Distracted Focus):

आपका निजी जीवन कितना भी सुखद या तनावपूर्ण क्यों न हो, अगर आप उसे ऑफिस में लेकर आते हैं, तो उसका असर आपके काम पर जरूर पड़ेगा।

उदाहरण के लिए, जब आप किसी परिवारिक समस्या के बारे में सोचते रहते हैं या व्यक्तिगत रिश्तों में तनाव महसूस करते हैं, तो आपके कार्य पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब हम अपने साथी या दोस्त से ऑफिस की बातें करते हैं या ऑफिस के बारे में अपने निजी जीवन में बातें करते हैं।

b) पेशेवर रिश्तों में भ्रम (Confusion in Professional Relationships):

यदि आप अपने सहकर्मियों के साथ व्यक्तिगत संबंधों में घुल मिल जाते हैं, तो कभी-कभी यह पेशेवर संबंधों को प्रभावित कर सकता है। 

ऐसे रिश्ते, जो पहले काम के मामले में सख्त और स्पष्ट थे, अब जटिल हो सकते हैं। अगर आप अपने सहकर्मी को अपना दोस्त मानते हैं और उसे कार्यस्थल पर निजी मुद्दों में शामिल करते हैं, तो वह पेशेवर बातचीत को ग़लत दिशा में मोड़ सकता है, जिससे आपका और आपके सहकर्मियों का व्यवहार बदल सकता है। यह रिश्तों में कन्फ़्यूज़न और अंततः पेशेवर कार्यों में गड़बड़ी का कारण बनता है।

c) संघर्ष का डर (Fear of Conflict):

जब व्यक्तिगत रिश्ते पेशेवर जीवन में घुस आते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से इस डर से ग्रस्त रहते हैं कि अगर रिश्तों में कोई मुद्दा उत्पन्न हो, तो कार्यस्थल पर यह समस्या न बन जाए। 

किसी कर्मचारी के साथ निजी संघर्ष होना या ऑफिस में किसी सहकर्मी के साथ असहमति रखना अब एक व्यक्तिगत विवाद बन जाता है, जिससे काम में भी अड़चनें आ सकती हैं। इस वजह से आपका आत्मविश्वास और कार्यक्षमता दोनों ही प्रभावित होते हैं।

2. व्यक्तिगत जीवन में पेशेवर रिश्तों का असर

अब बात करते हैं उस प्रभाव की, जो पेशेवर रिश्तों का हमारे निजी जीवन पर पड़ता है। काम का दबाव, सहकर्मियों की राजनीति और बॉस की अपेक्षाएँ हमारी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में गहरे असर डाल सकती हैं।

a) मानसिक थकावट (Mental Exhaustion):

ऑफिस के काम का तनाव और दवाब घर तक आ जाता है, और फिर आप घर पर भी उसी मानसिक स्थिति में रहते हैं। लगातार काम के दबाव में रहना और व्यक्तिगत जीवन में भी उसे लाना, आपको मानसिक रूप से थका सकता है। यह स्थिति न केवल आपकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि आपके व्यक्तिगत रिश्तों पर भी बुरा असर डाल सकती है।

जब आप हर वक्त काम के बारे में सोचते रहते हैं, तो आपके प्रियजनों को यह महसूस हो सकता है कि आप उनके साथ नहीं हो, भले ही आप शारीरिक रूप से मौजूद हों।

b) परिवारिक तनाव (Family Tension):

अगर आपके घर में कोई व्यक्तिगत समस्या है और आप उसे ऑफिस में लेकर आते हैं, तो यह घर के वातावरण को भी प्रभावित करता है। यह तो सभी को पता है कि घर पर जब हम परेशान रहते हैं, तो हम काम पर भी ठीक से ध्यान नहीं दे पाते। लेकिन अगर काम की समस्याएं घर में घुस आती हैं, तो इससे घर के रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। 

ऐसा अक्सर तब होता है जब हम अपने बॉस, सहकर्मियों या कार्यस्थल की समस्याओं को परिवार के सामने रख देते हैं, जिनका उनके साथ कोई लेना-देना नहीं होता।

c) जीवन की दिशा का भ्रम (Confusion in Life’s Direction):

जब आप व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों के बीच अंतर को नहीं समझ पाते, तो धीरे-धीरे यह आपके जीवन की दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। आपकी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं और आप अपने जीवन के उद्देश्य को लेकर भ्रमित हो सकते हैं। 

यदि आप अपनी सारी ऊर्जा काम में ही लगाते हैं, तो आप अपने व्यक्तिगत विकास, परिवार और आत्म-संतोष को भूल सकते हैं। ऐसा होना लंबे समय में न केवल आपकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि आपकी मानसिक स्थिति भी असंतुलित हो सकती है।

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3. व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को अलग रखने के फायदे

अब सवाल यह उठता है कि क्या हमें व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को अलग रखना चाहिए? जवाब है - जी हाँ! बिल्कुल यह आपके मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। आइए समझते हैं क्यों:

a) मानसिक शांति और संतुलन:

जब आप अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को अलग रखते हैं, तो आप अपनी मानसिक शांति को बनाए रख सकते हैं, जिससे कार्यस्थल पर ध्यान केंद्रित करना आसान होता है, और घर पर भी आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं। यह संतुलन आपके अंदर आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास पैदा करता है।

b) मजबूत और स्पष्ट रिश्ते:

व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों के बीच स्पष्ट सीमाएं तय करने से दोनों ही रिश्ते मजबूत और स्पष्ट रहते हैं। पेशेवर रिश्तों में आप एक सहकर्मी के रूप में व्यवहार करते हैं और व्यक्तिगत रिश्तों में एक दोस्त, माता-पिता, या जीवनसाथी के रूप में। यह आपके रिश्तों को साफ-सुथरा और स्थिर बनाए रखता है, जिससे आप दोनों क्षेत्रों में संतुलित और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

c) बेहतर प्रदर्शन और सफलता:

जब आप पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखते हैं, तो आप दोनों क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। आप मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं, जिससे आपके कार्य में सुधार होता है और निजी जीवन में भी खुशहाली बनी रहती है। जब आपका ध्यान दोनों जीवनों में बराबरी से बंटता है, तो आप अपनी पूरी क्षमता से काम कर पाते हैं।

अंत में मेरा तो यही मानना है कि, व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को मिलाने से जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम इन दोनों दुनियाओं या रिश्तों के बीच एक उचित अंतर बनाए रखें। 

इससे न केवल हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि हम दोनों क्षेत्रों में सफलता और संतोष भी प्राप्त कर पाते हैं। संतुलन ही सफलता की कुंजी है, और जब हम इसे समझते हैं, तो हम जीवन को एक सही दिशा में ले जा सकते हैं।इस बारे में आप क्या सोचते हैं, कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद 

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